आज की सुबह थोड़ी अलग है। मैं अपनी कॉफ़ी शॉप में नहीं हूँ। मैं अपने स्टडी रूम में हूँ, और मेरे चारों तरफ अख़बारों और किताबों का एक पहाड़ खड़ा हो गया है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं ज्ञान के किसी किले में कैद हो गया हूँ। और यह मुझे आज के उन लाखों युवाओं की याद दिलाता है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए खुद को इसी तरह के किलों में बंद कर लेते हैं।
उनका सबसे बड़ा दुश्मन कौन है? सिलेबस? कठिन सवाल? नहीं।
उनका सबसे बड़ा दुश्मन है ‘शोर’। जानकारी का अंतहीन शोर। हर दिन सैकड़ों ख़बरें, हज़ारों तथ्य, और यह न खत्म होने वाला दबाव कि कुछ छूट न जाए।
कल ही एक छात्र ने मुझे ईमेल किया। उसका सवाल बहुत सीधा था: “सर, Current Affairs 11 July 2025 के लिए क्या पढ़ूँ? मैं बहुत भ्रमित हूँ।” उसका सवाल सिर्फ़ एक तारीख के बारे में नहीं था। यह एक प्रक्रिया के बारे में था, एक रणनीति के बारे में, और उस मानसिक शांति के बारे में था जो इस शोर में कहीं खो गई है।
तो चलिए, आज इसी पर बात करते हैं। किसी किताबी कीड़े की तरह नहीं, बल्कि एक अनुभवी गाइड की तरह, जो आपको इस भूलभुलैया से बाहर निकलने का रास्ता दिखा सकता है।
‘क्या’ से ज़्यादा ‘क्यों’ और ‘कैसे’ पर ध्यान दें
यह बात मैं अपनी हर बातचीत में दोहराता हूँ, और आज फिर दोहराऊंगा, क्योंकि यह सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। हम करेंट अफेयर्स की तैयारी में सबसे बड़ी गलती यही करते हैं – हम ‘क्या’ पर अटक जाते हैं।
इज़राइल ने गाजा पर हमला किया। ‘क्या’ हुआ? हमला। G20 की बैठक दिल्ली में हुई। ‘क्या’ हुआ? बैठक। हम इन तथ्यों को रट लेते हैं। लेकिन परीक्षा में, ख़ासकर UPSC या स्टेट PSC जैसी परीक्षाओं में, परीक्षक आपके ‘क्या’ में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रखते। वे आपके ‘क्यों’ और ‘कैसे’ को जानना चाहते हैं।
चलिए मैं इसे और स्पष्ट रूप से समझाने की कोशिश करता हूं। ‘क्या’: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित कर दिया। (यह एक तथ्य है) ‘क्यों’: क्यों किया? क्योंकि यह सूचना के अधिकार (RTI) और राजनीति में पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा था। ‘कैसे’ और ‘आगे क्या’: इसका भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या इससे राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता आएगी? क्या इसके कोई नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं? क्या दुनिया के अन्य देशों में राजनीतिक फंडिंग के क्या मॉडल हैं?
जब आप इस तरह से सोचना शुरू करते हैं, तो आप एक ख़बर को उसके पूरे पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) में समझते हैं। आप सिर्फ़ एक घटना नहीं, बल्कि एक प्रक्रिया को समझते हैं। और यही वह समझ है जो आपको एक औसत उम्मीदवार से एक असाधारण उम्मीदवार बनाती है।
जानकारी के महासागर में अपने ‘द्वीप’ कैसे बनाएं?
अब आप कहेंगे, “ठीक है, हम ‘क्यों’ और ‘कैसे’ पर ध्यान देंगे। लेकिन जानकारी तो फिर भी बहुत ज़्यादा है।”
बिल्कुल सही। और इसका समाधान है – जानकारी के इस महासागर में अपने छोटे-छोटे ‘द्वीप’ बनाना।
इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि आपको हर चीज़ का विशेषज्ञ बनने की कोशिश नहीं करनी है। आपको अपने सिलेबस के अनुसार कुछ मुख्य विषयों (islands) को चुनना है और उनमें गहरी डुबकी लगानी है।
उदाहरण के लिए, Daily Current Affairs 2025 के लिए आप कुछ थीम बना सकते हैं: 1. अर्थव्यवस्था: इसमें RBI की नीतियां, मुद्रास्फीति, बजट, और सरकारी योजनाएं शामिल होंगी। 2. पर्यावरण: जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, नवीकरणीय ऊर्जा, और अंतर्राष्ट्रीय समझौते। 3. विज्ञान और प्रौद्योगिकी: अंतरिक्ष मिशन, नई टेक्नोलॉजी (जैसे AI, बायोटेक), और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे। 4. अंतर्राष्ट्रीय संबंध: भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध, प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ रिश्ते, और महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन। 5. सामाजिक मुद्दे: शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी, और महिलाओं से जुड़े मुद्दे।
जब भी आप कोई ख़बर पढ़ें, तो उसे इनमें से किसी एक ‘द्वीप’ पर ले जाकर रख दें। इससे आपका दिमाग जानकारी को व्यवस्थित करना सीख जाएगा। आपको ख़बरें बिखरी हुई नहीं, बल्कि एक-दूसरे से जुड़ी हुई दिखेंगी। आप समझने लगेंगे कि कैसे पर्यावरण का मुद्दा अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है (जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना), और कैसे अंतर्राष्ट्रीय संबंध विज्ञान और प्रौद्योगिकी को दिशा देते हैं (जैसे कि सेमीकंडक्टर मिशन)। यह तैयारी आपको ICG Assistant Commandant जैसी परीक्षाओं के ग्रुप डिस्कशन में भी बहुत मदद करेगी।
11 जुलाई 2025 की तैयारी: भविष्य का पूर्वानुमान नहीं, पैटर्न की पहचान
तो, हम Current Affairs 11 July 2025 के लिए आज क्या कर सकते हैं? हम भविष्यवक्ता तो नहीं बन सकते। लेकिन हम पैटर्न को पहचान सकते हैं।
इस विषय के बारे में निराशाजनक बात यह है कि हम अक्सर तात्कालिक और सनसनीखेज ख़बरों में उलझ जाते हैं और उन धीमी, लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नज़रअंदाज़ कर देते हैं जो हमारे भविष्य को आकार दे रही हैं।
आपको उन प्रक्रियाओं पर ध्यान देना है। – सोचिए कि भारत की ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ पॉलिसी आज सिर्फ़ एक पॉलिसी है। लेकिन 11 जुलाई 2025 तक, यह एक बड़ा उद्योग बन सकती है, जिसमें हज़ारों नौकरियाँ (जैसे कि NHPC में अप्रेंटिसशिप) पैदा होंगी और भारत की ऊर्जा सुरक्षा की तस्वीर बदल जाएगी। – आज, भारत में हो रही ‘डिजिटल पेमेंट’ की क्रांति सिर्फ़ एक सुविधा है। लेकिन 2025 तक, यह वित्तीय समावेशन (financial inclusion) का सबसे बड़ा हथियार बन सकती है, और साथ ही डेटा सुरक्षा और साइबर फ्रॉड की नई चुनौतियाँ भी पैदा कर सकती है।
मैं इस बिंदु पर बार-बार वापस आ रहा हूं क्योंकि यह महत्वपूर्ण है: आपको सिर्फ़ आज की ख़बर नहीं पढ़नी है, आपको आज की ख़बर में छिपे कल के संकेत पढ़ने हैं। इसके लिए आपको सरकारी रिपोर्टों (जैसे इकोनॉमिक सर्वे, नीति आयोग की रिपोर्ट्स) और अच्छे समाचार विश्लेषणों पर निर्भर रहना होगा। नवीनतम नौकरी अपडेट्स और उनसे जुड़ी खबरों के लिए आप FreeJobAlert जैसी वेबसाइट्स को भी फॉलो कर सकते हैं, जो आपको बताते हैं कि कौन से सेक्टर में ग्रोथ हो रही है।
अंत में, मैं अपने स्टडी रूम के उस ढेर को देखता हूँ और मुस्कुराता हूँ। यह ज्ञान का किला नहीं है, यह एक पहेली है। एक रोमांचक पहेली जिसे सुलझाने में मज़ा आता है। करेंट अफेयर्स की तैयारी को एक बोझ की तरह न देखें। इसे दुनिया को समझने के एक जासूसी मिशन की तरह देखें।
जिस दिन आपने ‘क्या’ से ज़्यादा ‘क्यों’ से प्यार करना सीख लिया, उस दिन यह भूलभुलैया आपको एक खूबसूरत रास्ते की तरह लगने लगेगी। और आप उस रास्ते पर अकेले नहीं होंगे, मैं भी कहीं न कहीं, कॉफ़ी का कप हाथ में लिए, आपके बारे में ही सोच रहा होऊंगा।
करेंट अफेयर्स की तैयारी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या मुझे हर राज्य की स्थानीय ख़बरों पर भी नज़र रखनी चाहिए?
अगर आप UPSC की तैयारी कर रहे हैं, तो नहीं। आपको सिर्फ़ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की ख़बरों पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन, अगर आप किसी विशेष राज्य की सिविल सेवा (State PSC) की परीक्षा दे रहे हैं, तो आपको उस राज्य से जुड़ी महत्वपूर्ण ख़बरों, योजनाओं और बजट पर विशेष ध्यान देना होगा।
हिंदू या इंडियन एक्सप्रेस? कौन सा अख़बार बेहतर है?
यह सबसे क्लासिक सवाल है! सच कहूँ तो, दोनों ही अख़बार बहुत अच्छे हैं। यह पूरी तरह से आपकी व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है। ‘द हिन्दू’ की भाषा थोड़ी ज़्यादा अकादमिक मानी जाती है, जबकि ‘इंडियन एक्सप्रेस’ अपने व्याख्यात्मक (explanatory) लेखों के लिए जाना जाता है। आप दोनों को कुछ हफ़्तों तक पढ़कर देख सकते हैं और जो आपको ज़्यादा सहज लगे, उसे चुन सकते हैं। महत्वपूर्ण अख़बार नहीं, बल्कि उसे पढ़ने का आपका तरीका है।
क्या राज्यसभा टीवी (RSTV)/संसद टीवी के डिबेट्स देखना मददगार होता है?
बहुत ज़्यादा! यह आपकी समझ को गहरा करने का सबसे अच्छा तरीका है। ‘बिग पिक्चर’ या ‘देश देशांतर’ जैसे कार्यक्रमों में आपको किसी भी मुद्दे पर विशेषज्ञों के विविध विचार सुनने को मिलते हैं। इससे न केवल आपका ज्ञान बढ़ता है, बल्कि आपकी अपनी राय बनाने और विश्लेषण करने की क्षमता भी विकसित होती है, जो मेंस और इंटरव्यू के लिए अमूल्य है।
मैं अक्सर महत्वपूर्ण ख़बरें भूल जाता हूँ। रिविज़न की सबसे अच्छी रणनीति क्या है?
भूलना मानवीय स्वभाव है। इसका एकमात्र इलाज है ‘स्पेसड रिविज़न’ (Spaced Revision)। आपने आज जो पढ़ा, उसे 24 घंटे के भीतर एक बार रिवाइज़ करें। फिर उसी चीज़ को एक हफ़्ते बाद, और फिर एक महीने बाद रिवाइज़ करें। डेली नोट्स बनाने की आदत डालें। हर रविवार को पूरे हफ़्ते के नोट्स को रिवाइज़ करने के लिए रखें। निरंतरता ही सफलता की कुंजी है।
Current Affairs 11 July 2025 के लिए, क्या मुझे आज के संपादकीय (Editorials) पढ़ने चाहिए, क्योंकि विचार तो बदल सकते हैं?
हाँ, बिलकुल पढ़ने चाहिए। संपादकीय पढ़ने का उद्देश्य किसी के विचार को रटना नहीं, बल्कि यह सीखना है कि किसी मुद्दे पर एक तर्कपूर्ण राय कैसे बनाई जाती है। आप लेखक के हर विचार से सहमत हों, यह ज़रूरी नहीं है। लेकिन आप यह सीखते हैं कि किसी विषय के पक्ष और विपक्ष में तर्क कैसे दिए जाते हैं। यह कौशल समय के साथ नहीं बदलता और यही आपको एक परिपक्व उत्तर लिखने में मदद करता है।